भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दादी / मीठेश निर्मोही

843 bytes added, 09:27, 1 अप्रैल 2018
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=[[मीठेश निर्मोही]] |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[मीठेश निर्मोही]]
|अनुवादक=
|संग्रह=आपै रै ओळै-दोळै / मीठेश निर्मोही
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
सळवट नैणां
उणियारै सूं झांकती
धूजतै हाथां
डिगमिग गेडी झाल
ढांणी-ढपांणी
संभाळती आवै
थूं !

चढता सूरज नै
थड़ियां करावण
बण जावै
गाडूलियौ।

के
कूंपळां हालरियौ हुलराय
हेत रै भाखर चाढ
रूंख बण जावण री
आसीसां खळकावै
थूं।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
8,152
edits