भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=[[मीठेश निर्मोही]] |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[मीठेश निर्मोही]]
|अनुवादक=
|संग्रह=आपै रै ओळै-दोळै / मीठेश निर्मोही
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
विकारां सूं मुगती पावण
धार लेवै आपरौ
अनाद अखूट
सरूप।
नित अर निरपेख
व्हियां
थूं !
इस्ट, अनिस्ट
अर तटस्थ
जैड़ा बजर सबदां नै
प्राण सूंपता
अेक-मेक व्हे जावै
थारा सगळा
गुण।
समाय जावै
सत में सत
रज में रज
तम में तम
थूं व्हे जावै
जथाजोग।
औ जथाजोग होवणौ ई
थारौ पाछौ
जलमणौ है
मां!
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=[[मीठेश निर्मोही]]
|अनुवादक=
|संग्रह=आपै रै ओळै-दोळै / मीठेश निर्मोही
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
विकारां सूं मुगती पावण
धार लेवै आपरौ
अनाद अखूट
सरूप।
नित अर निरपेख
व्हियां
थूं !
इस्ट, अनिस्ट
अर तटस्थ
जैड़ा बजर सबदां नै
प्राण सूंपता
अेक-मेक व्हे जावै
थारा सगळा
गुण।
समाय जावै
सत में सत
रज में रज
तम में तम
थूं व्हे जावै
जथाजोग।
औ जथाजोग होवणौ ई
थारौ पाछौ
जलमणौ है
मां!
</poem>