भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जूंण / मीठेश निर्मोही

856 bytes added, 09:41, 1 अप्रैल 2018
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=[[मीठेश निर्मोही]] |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[मीठेश निर्मोही]]
|अनुवादक=
|संग्रह=आपै रै ओळै-दोळै / मीठेश निर्मोही
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
म्हारौ इण पकड़ लियौ है लारौ
जे म्हैं अंगेजलूं इण नै
करूं पाप
धाप।

अर वौ है
के
पल-पल, छिण-छिण
ताहीजै

तोळै सूं मासै-रत्ती में
छीजै

म्हारौ भख मांगै
निरभै व्हे
म्हारे सूं तप मांगै।

झूठ अर सांच रै
इण चितपुट
म्हारी मिनखा जूंण !!
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
8,152
edits