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मिनख-तीन / ॠतुप्रिया

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|संग्रह=ठा’ नीं कद हुज्यावै प्रेम / ॠतुप्रिया
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<poem>
मिनख
थूं धरती बांटी
अकास बांट्यौ
धरम बांट्यौ
जात्यां बांटी
परवार बांट्यौ

थूं
अबै और
कांईं-कांईं बांटसी
बंटवारौ थारी आदत में
सामल हुग्यौ दीसै

जदी
रंगां में ई
कर नाख्यौ बंटवारौ

थारौ जी अजे तांईं
कोनी भर्यौ
थूं हिन्दू नै सूंप दियौ
केसरियौ
अर मुसलमान नै
सूंप दियौ हरयो।

</poem>
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