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{{KKRachna
|रचनाकार=[[ॠतुप्रिया]]
|अनुवादक=
|संग्रह=ठा’ नीं कद हुज्यावै प्रेम / ॠतुप्रिया
}}
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{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
मिनख
थूं धरती बांटी
अकास बांट्यौ
धरम बांट्यौ
जात्यां बांटी
परवार बांट्यौ
थूं
अबै और
कांईं-कांईं बांटसी
बंटवारौ थारी आदत में
सामल हुग्यौ दीसै
जदी
रंगां में ई
कर नाख्यौ बंटवारौ
थारौ जी अजे तांईं
कोनी भर्यौ
थूं हिन्दू नै सूंप दियौ
केसरियौ
अर मुसलमान नै
सूंप दियौ हरयो।
</poem>
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मिनख
थूं धरती बांटी
अकास बांट्यौ
धरम बांट्यौ
जात्यां बांटी
परवार बांट्यौ
थूं
अबै और
कांईं-कांईं बांटसी
बंटवारौ थारी आदत में
सामल हुग्यौ दीसै
जदी
रंगां में ई
कर नाख्यौ बंटवारौ
थारौ जी अजे तांईं
कोनी भर्यौ
थूं हिन्दू नै सूंप दियौ
केसरियौ
अर मुसलमान नै
सूंप दियौ हरयो।
</poem>