गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
कोई उसके बराबर हो गया है / विकास शर्मा 'राज़'
848 bytes added
,
13:52, 25 अप्रैल 2018
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विकास शर्मा 'राज़' }} {{KKCatGhazal}} <poem> कोई उ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=विकास शर्मा 'राज़'
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
कोई उसके बराबर हो गया है
ये सुनते ही वो पत्थर हो गया है
जुदाई का हमें इम्कान तो था
मगर अब दिन मुक़र्रर हो गया है
सभी हैरत से मुझको तक रहे हैं
ये क्या तहरीर मुझ पर हो गया है
असर है ये हमारी दस्तकों का
जहाँ दीवार थी दर हो गया है
बहुत ख़ुश हूँ उसे बेचैन कर के
हिसाब उससे बराबर हो गया है
</poem>
Shrddha
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
3,286
edits