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चिड़िया / कल्पना सिंह-चिटनिस

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|संग्रह=तफ़्तीश जारी है / कल्पना सिंह-चिटनिस
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<poem>

चिड़िया अपने पंखों पर
उतार लाती है धूप
हर सुबह।

चोंच भर दाने के लोभ में
नहीं आती चिड़िया

चिड़िया आती हैं,
घर की छत पर ठहरे
पानी में नहाती है,

और छोड़ जाती है
ढेर सारा सुख।

चिड़िया जो करती है रोज
कितना मुश्किल है
हमारे लिए।

</poem>
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