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मेरी वह स्मिति थी, उसका भी,
मैं हँसता संसार बना था,
मिले धूलि में दलित कुसुम सा, मैं सब दिन म्रियमाण<ref>मृत प्राय, मर मरा हुआ सा</ref> नहीं था!
मैं सब दिन पाषाण नहीं था!
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