भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मोहम्मद सद्दीक |अनुवादक= |संग्रह=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मोहम्मद सद्दीक
|अनुवादक=
|संग्रह=जूझती जूण / मोहम्मद सद्दीक
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
कुण जाणै
कद कुण
मिनखां जूण नै
ऊंचली टेकरी स्यूं टिल्लो दियो।
टिल्लो लागताईं
मानखो दड़ो दाईं
गुड़तो-रूड़तो गुलेची खावतो
आवतो जावै
ऊपर ऊं नीचली ठौड़ पण जिक्को पगां पांण
आपरी हिम्मत रै तांण
मारगै रै भाटा ठिडां ऊं
भचभेड़ो खाय
अड़ै, लड़ै, अटकै
चाल पड़ै सामो सामनो करणनै
ऊंचली ऊंचाई कानी
जाय बैठै टेकरी री छाती माथै
गीतां नै गुंजाणनै
अळगोजा बजाण नै।
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
8,152
edits