भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

उनींदी भोर / कविता भट्ट

109 bytes added, 04:52, 5 जुलाई 2018
बाट निहारे
प्रिय साँझ सवेरे
विषाद घेरे11मैं वियोगिनीअनंत अनादि कीयोगिनी हुई । 
</poem>