भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
<poem>
पूनम चाँदहै आया देखो कैसेअँधेरा फाँद।दूधिया- सी चूनरसिर पे ओढ़ेछम-छम करतीचाँदनी आईअनगिनत सपनेसंग में लाई।जीभर के रचेंगेप्रेम के गीत बिझड़े हुए मीत।जुगनू संगछेड़ेंगे मिल-जुल प्रेम -भरा संगीत।
</poem>