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{{KKRachna
|रचनाकार=[[लक्ष्मीनारायण रंगा]]
|अनुवादक=
|संग्रह=आंख ई समझै / लक्ष्मीनारायण रंगा
}}
{{KKCatKavita}}
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
समझै आंख
वामन में विराट
सिंधु में बिंदु
’
नाद उपजी
नाद मांय समासी
समची सृष्टि
’
बिकै कानून
चढै नीलामी न्याय
लोकतंत्र है
</poem>
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समझै आंख
वामन में विराट
सिंधु में बिंदु
’
नाद उपजी
नाद मांय समासी
समची सृष्टि
’
बिकै कानून
चढै नीलामी न्याय
लोकतंत्र है
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