भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
310 bytes added,
07:36, 13 अगस्त 2018
हैरान हैं सब देख के हस्ती मेरी।
आबाद है अनवार की दुनिया दिल में
बैठा है कोई दिलबरे-राना दिल में
देखा है 'रतन' चश्मे-हक़ीक़त बीं ने
रानाईए-मस्तूर का जल्वा दिल में।
अरमान भरे दिल मशहूर ज़माने में उतर कर देखोहै बख़्शिश तेरी उम्मीद की महफ़िल में उतर हर शाह-ओ-गदा पर है नवाज़िश तेरीअब अपने 'रतन' पर भी करम कर देखो।या रबऐ चाँद की धरती में उतरने वालोकरता है दिल-ओ-जां परस्तिश तेरीइर्फ़ान की मंज़िल में उतर कर देखो।हर दर्द का हर दुख का मुदावा तू हैबे यार का बे कस का सहारा तू हैकिस दर पे बनूँ जाके सवाली या रबजब सब के नसीबा का नसीबा तू है
पंडित का धरम शैख़ का ईमान नहीं
क़ालब तो हैं दो इन में मगर जान नहीं।
रहजन है कोई और है कोई क़ातिल
इंसान हक़ीक़त में अब इंसान नहीं।
</poem>
Mover, Reupload, Uploader