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{{KKRachna
|रचनाकार=निशाकर
|अनुवादक=
|संग्रह=ककबा करैए प्रेम / निशाकर
}}
{{KKCatAngikaRachna}}
<poem>
सभ दिन
अहाँ हमरा संग रहलहुँ
कखनो प्रेम
कखनो झंझटि करैत रहलहुँ।
लोकक बनाओल प्रेमक परिभाषामे
नहि अटलहुँ
संसारक सभटा नपना
अहाँकें नपबामे
छोट लागल हमरा।
</poem>
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|अनुवादक=
|संग्रह=ककबा करैए प्रेम / निशाकर
}}
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सभ दिन
अहाँ हमरा संग रहलहुँ
कखनो प्रेम
कखनो झंझटि करैत रहलहुँ।
लोकक बनाओल प्रेमक परिभाषामे
नहि अटलहुँ
संसारक सभटा नपना
अहाँकें नपबामे
छोट लागल हमरा।
</poem>