भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

नपना / ककबा करैए प्रेम / निशाकर

611 bytes added, 13:11, 12 सितम्बर 2018
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निशाकर |अनुवादक= |संग्रह=ककबा करै...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=निशाकर
|अनुवादक=
|संग्रह=ककबा करैए प्रेम / निशाकर
}}
{{KKCatAngikaRachna}}
<poem>

सभ दिन
अहाँ हमरा संग रहलहुँ
कखनो प्रेम
कखनो झंझटि करैत रहलहुँ।

लोकक बनाओल प्रेमक परिभाषामे
नहि अटलहुँ
संसारक सभटा नपना
अहाँकें नपबामे
छोट लागल हमरा।


</poem>
761
edits