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तेरी नवाज़िशों का करम बेहिसाब हैनज़रों से क्या गिरा हूँ मैंअपनी हर एक बात का तू खुद जवाब हैनज़रों में गिर गया हूँ मैं
क्या पूछता हो कैसे गुज़रती है इन दिनोंबस वहशी दीवाना सिरफिरा हूँ मैं खैर जो भी हूँ और गर्दिशे जामे शराब हैआपका हूँ मैं
पहले भी मिल चुके हैं कई बार आप सेअब कोई मेहरबाँ हुआ तो क्याशर्मा रहे हैं आप ये कैसा हिजाब हैअब तो दुनिया से उठ रहा हूँ मैं
भेजा गया अपने घर से उठा है मुझको मेरा ख़त ही फाड़करसैले बलामेरी शिकायतों का ये कैसा जवाब हैअपने अश्क़ों में बह गया हूँ मैं
तुझको ख़बर भी है मेरे हमदम मेरे हबीबऐ अजल आ के मेरी मेहमां होतेरे मरीज़े-इश्क़ की हालत खराब हैराह मुद्दत से तक रहा हूँ मैं
मेरी ख़ता ने मुझको फ़लक से गिरा दियातेरे करम हो चुके हैं अलम गले का सिलसिला तो बेहिसाब हैहारज़िंदा क्योंकर हूँ सोचता हूँ मैं
ऐसी नज़र से ग़ैर ने देखा है आपकोकैसे सुलझेगी इश्क़ की गुत्थीआंखें बता रही हैं कि नीयत खराब एक उलझन में फंस गया हूँ मैं बात अपनी गरज़ की है'अंजान'तू मेरा हो न हो तेरा हूँ मैं।
'अंजान' जिसकी आंख में शर्मो हया न हो
दरकार उसके वास्ते होता हिजाब है।
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