भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=[[अजय अज्ञात]] |अनुवादक= |संग्रह=इज़...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=[[अजय अज्ञात]]
|अनुवादक=
|संग्रह=इज़हार / अजय अज्ञात
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
नफ़रत की ये आग बुझाने आ जाओ
उल्फ़त का इक दीप जलाने आ जाओ

ग़म देने या खुशियों का पैग़ाम लिए
या फिर कोई और बहाने आ जाओ

हानि धर्म की हर सू होती जाती है
अब तो ‘माधव' धर्म बचाने आ जाओ

विष के साग़र खूब पिये हैं ‘मीरा' ने
अब तो ‘कान्हा' रूप दिखाने आ जाओ

तुम जानो ये कौन क़ियामत आई है
मुझ को मेरे ‘राम' बचाने आ जाओ
</poem>
Mover, Reupload, Uploader
3,998
edits