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बबूलों के पत्तों पे अब ना परोसो
हमारा भरे पेट इतना परोसो
भकोसो न सब कुछ अकेले अकेले
ख़बरदार, हमको भी जेवना परोसो
 
विधायक से चाहे मिनिस्टर से पूछो
रहे ध्यान पर हमको कम ना परोसो
 
हमेशा न रहती किसी की हुकू़़मत
बही में लिखो हमको जितना परोसो
 
न भूलो कि सब कुछ ख़ुदा देखता है
ग़रीबों को जूठन न अपना परोसो
 
यही एक छोटी-सी बस इल्तिजा है
कोई और झूठा न सपना परोसो
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