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'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लाल्टू |अनुवादक= |संग्रह=नहा कर नह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
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{{KKRachna
|रचनाकार=लाल्टू
|अनुवादक=
|संग्रह=नहा कर नही लौटा है बुद्ध / लाल्टू
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
ब्लैक ऐंड व्हाइट फोटोग्राफ में गुलाबी
जो भाप बन कर उड़ गया
रंग हिरोशिमा
आँखें फाड़ हम देखते हैं
चारों ओर फैला रंग अँधेरा
हमारे ही जैसे दिखते हैं दानव
जिनका कोई देश नहीं, नहीं जिनकी कोई धरती
वाक़ई रंगहीन वे धरती से छीन लेना चाहते हैं हरीतिमा
रुकते ही नहीं सवाल
अनजाने ही रंगे गए हमारी चितकबरी चाहतों से
देर तक बहती है हिरोशिमा की याद
हिबाकुशा रंग है जीवन का
स्लाइड शो से परे सीटों पर से उड़ते
हमारे प्यार के रंगीन टुकड़ों का
नितान्त ही अँधेरे कमरे में फैलती
भोर की तड़पती उमँग का।
</poem>
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|रचनाकार=लाल्टू
|अनुवादक=
|संग्रह=नहा कर नही लौटा है बुद्ध / लाल्टू
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ब्लैक ऐंड व्हाइट फोटोग्राफ में गुलाबी
जो भाप बन कर उड़ गया
रंग हिरोशिमा
आँखें फाड़ हम देखते हैं
चारों ओर फैला रंग अँधेरा
हमारे ही जैसे दिखते हैं दानव
जिनका कोई देश नहीं, नहीं जिनकी कोई धरती
वाक़ई रंगहीन वे धरती से छीन लेना चाहते हैं हरीतिमा
रुकते ही नहीं सवाल
अनजाने ही रंगे गए हमारी चितकबरी चाहतों से
देर तक बहती है हिरोशिमा की याद
हिबाकुशा रंग है जीवन का
स्लाइड शो से परे सीटों पर से उड़ते
हमारे प्यार के रंगीन टुकड़ों का
नितान्त ही अँधेरे कमरे में फैलती
भोर की तड़पती उमँग का।
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