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{{KKRachna
|रचनाकार=वाल्टर सेवेज लैंडर
|अनुवादक=तरुण त्रिपाठी
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
आह! राजवंश से होना किस काम आता है
आह! क्या देता है दैवीय रूप
या कोई भी सद्गुण, कोई भी विभूषण
रोज़ एल्मर, तुम्हारा तो सबकुछ था
रोज़ एल्मर, जिसको ये जागी आँखें
रो सकती हैं, पर कभी देख नहीं सकतीं,
यादों और आहों भरी एक रात
मैं अर्पित करता हूँ तुम्हें..
{'रोज़' ब्रिटेन के 'लॉर्ड एल्मर' की बेटी थी और 'लैंडर' साहब का प्यार. 1798 में वे उनकी आंटी के यहाँ भारत में कलकत्ता भेज दी गयी थीं जहाँ 20 की उम्र में ही वे कॉलरा से मर गयीं..}
</poem>
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|अनुवादक=तरुण त्रिपाठी
|संग्रह=
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आह! राजवंश से होना किस काम आता है
आह! क्या देता है दैवीय रूप
या कोई भी सद्गुण, कोई भी विभूषण
रोज़ एल्मर, तुम्हारा तो सबकुछ था
रोज़ एल्मर, जिसको ये जागी आँखें
रो सकती हैं, पर कभी देख नहीं सकतीं,
यादों और आहों भरी एक रात
मैं अर्पित करता हूँ तुम्हें..
{'रोज़' ब्रिटेन के 'लॉर्ड एल्मर' की बेटी थी और 'लैंडर' साहब का प्यार. 1798 में वे उनकी आंटी के यहाँ भारत में कलकत्ता भेज दी गयी थीं जहाँ 20 की उम्र में ही वे कॉलरा से मर गयीं..}
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