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|रचनाकार=वाल्टर सेवेज लैंडर
|अनुवादक=तरुण त्रिपाठी
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<poem>
तुम मुस्काई, तुम बोली, और मैंने भरोसा कर लिया,
हर शब्द और हर मुस्कान पर धोखा खाया.
दूसरा कोई अब कुछ उम्मीद नहीं रखेगा;
ना ही मैं रखूं, जो उम्मीद पहले रख आया:
पर इस अंतिम इच्छा को व्यर्थ नहीं होने दो
फिर धोखा दो मुझे, फिर धोखा दो!
</poem>
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