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Kavita Kosh से
ओ मेरे रत्नों और जवाहरातो !
क्यों ख़ामोशी के कीचड़ में सोए हुए हो तुम ?
ओ मेरे अवाम आवाम ! गुम हो चुकी हैं तुम्हारी यादें
तुम्हारी हलकी नीली, वो आसमानी यादें ।