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<poem>
देख ली आपकी बेरूख़ी प्यार मे
इक चुभन दर्द की मिल गयी प्यार में

हसरतें दिल की तामीर हो जायें सब
ऐसा होता नहीं है कभी प्यार में

इश्क की राह राहत रसां मत समझ
दर्द है और है बेकली प्यार में

हिज्र के चार दिन ऐसे गुज़रे मेरे
इक सदी जैसे रो रो कटी प्यार में

गोशा गोशा जहां का मुनव्वर हुआ
दिल जला कर जो की रोशनी प्यार में

वस्ल की लज़्ज़ते इश्क़ में हैं तो फिर
दर्दे फुरक़त भी है लाज़िमी प्यार में

मेरी दीवानगी का अलग रंग है
यूँ तो पागल हुए हैं कई प्यार में

ज़िंदगी क्या है तुम भी तो जानो' सुमन'
जी के देखो घड़ी दो घड़ी प्यार मे
</poem>