भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=तारकेश्वरी तरु 'सुधि' |अनुवादक= |सं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=तारकेश्वरी तरु 'सुधि'
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
हौसला आकाश छूने जो गया-
देख फिर डर आज छुपने को गया।
रात आई साथ लेकर चाँद को-
आज बच्चा मुस्कुराकर सो गया।
ओस की बूँदें गिरीं थी सीप में-
इश्क़ उनका एक मोती हो गया।
आज फिर से ख़्वाब में वह आ मिला-
एक पल फिर दिल लगाकर खो गया।
रात में दिन की थकन सोने लगी-
रूठ कर अब ख़्वाब भी समझो गया।
ऐ सुनो! क़दमों ज़रा धीमे चलो-
आस का इक बीज कोई बो गया।
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=तारकेश्वरी तरु 'सुधि'
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
हौसला आकाश छूने जो गया-
देख फिर डर आज छुपने को गया।
रात आई साथ लेकर चाँद को-
आज बच्चा मुस्कुराकर सो गया।
ओस की बूँदें गिरीं थी सीप में-
इश्क़ उनका एक मोती हो गया।
आज फिर से ख़्वाब में वह आ मिला-
एक पल फिर दिल लगाकर खो गया।
रात में दिन की थकन सोने लगी-
रूठ कर अब ख़्वाब भी समझो गया।
ऐ सुनो! क़दमों ज़रा धीमे चलो-
आस का इक बीज कोई बो गया।
</poem>