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उनकी बातचीत है शहरी लालित्य से दूर
एक साधारण किसान बतियाता है मद्धिम आवाज़ में
पर उसका एक-एक शब्द होता है सम्पूर्ण, मक्के की बाली-सा
मज़बूत और ठोस पत्थर की दीवार जैसा
लेना-देना नहीं मुझे उनकी दलीलों, निष्कर्षों से
मेरे लिए मीठी है, बस, उनकी वाणी, जिसमें
छलकता है जड़ी-बूटियों का हुनर और ज़माने की नेकनीयती ।
'''अँग्रेज़ी से अनुवाद : [[सुधीर सक्सेना]]'''
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