भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कुमार नयन |अनुवादक= |संग्रह=दयारे...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कुमार नयन
|अनुवादक=
|संग्रह=दयारे हयात में / कुमार नयन
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
कुछ यूँ भी जिंदगी से मुलाक़ात कीजिये
ग़म दिल में हो खुशी की मगर बात कीजिये।
हर दिल को जीत लवंगी यक़ीनन जनाब आप
बस शर्त है कि खुद को ज़रा मात कीजिये।
बेपर्द हो न जाएं ज़माने के सामने
ज़ाहिर न अपने भूल के जज़्बात कीजिये।
सुलझेंगी माँ क़सम ये ज़माने की उलझनें
अपनी तरफ से आप शुरुआत कीजिये।
शायद हमारे पास ही हों आपके जवाब
कुछ हमसे भी कभी तो सवालात कीजिये।
होंगे न अपने आप कभी आपकी तरफ
खुद अपनी ओर खींच के हालात कीजिये।
लग जाएंगी दुआएं मुक़द्दर की आपको
दौलत को छोड़ दिल को ही ख़ैरात कीजिये।
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=कुमार नयन
|अनुवादक=
|संग्रह=दयारे हयात में / कुमार नयन
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
कुछ यूँ भी जिंदगी से मुलाक़ात कीजिये
ग़म दिल में हो खुशी की मगर बात कीजिये।
हर दिल को जीत लवंगी यक़ीनन जनाब आप
बस शर्त है कि खुद को ज़रा मात कीजिये।
बेपर्द हो न जाएं ज़माने के सामने
ज़ाहिर न अपने भूल के जज़्बात कीजिये।
सुलझेंगी माँ क़सम ये ज़माने की उलझनें
अपनी तरफ से आप शुरुआत कीजिये।
शायद हमारे पास ही हों आपके जवाब
कुछ हमसे भी कभी तो सवालात कीजिये।
होंगे न अपने आप कभी आपकी तरफ
खुद अपनी ओर खींच के हालात कीजिये।
लग जाएंगी दुआएं मुक़द्दर की आपको
दौलत को छोड़ दिल को ही ख़ैरात कीजिये।
</poem>