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साजिश / सुधा चौरसिया

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पहले तुम्हें
अमानुष बनाया
फिर तुम्हारे ही
हाथों से
अपनी सारी
सुख-सुविधाओं की
सामग्री बनवाई
और सभी को
अधिकृत कर लिया
सामंतवादी प्रवृति वाले
मनुष्यों ने
पर, जब तुमसे
भगवान बनवाया
उदारता पूर्वक
तुम्हारे हाथों में
थमा दिया
ताकि
पीढ़ी दर पीढ़ी
उस साजिश रूपी
भगवान के आगे
अपने सुख के लिए
गिड़गिड़ाते रहो
और अपनी
दयनीय स्थिति को
अपनी नियति समझ
चुपचाप जीते रहो...
</poem>
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