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|रचनाकार=गोपाल कृष्ण शर्मा 'मृदुल'
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<poem>
दुनिया में वह बशर नहीं।
जिसमें कोई हुनर नहीं।।

मंजिल जिसके पास न हो,
ऐसा कोई सफ़र नहीं।।

दन्द-फन्द में नामाहिर,
उसकी सुख से बसर नहीं।।

क़दम सफलता चूमेगी,
ग़र कोशिश में कसर नहीं।।

सीख उसे देने से क्या?
जिस पर इसका असर नहीं।।

अगर-मगर में फँसने पर,
आसाँ रहती डगर नहीं।।
</poem>
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