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Kavita Kosh से
हम गिड़गिड़ाते ही रहे उस पर असर कोई न था
ख़ुशफ़हमियों में हमनें हमने कितना वक़्त ज़ाया कर दिया
ज़िन्दा रहे किसके लिए अपना अगर कोई न था
हमको हमारे बाद कोई याद करता किस लिए किसलिए
कुछ शे'र कहने के सिवा हममें हुनर कोई न था
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