भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
<poem>
अन्तस् की पीड़ा को गाकर
मैं जीवन की राम कहानी सदियों तक दोहराऊँगा।
पीड़ाओं के गरल पान से ,मन शिवता को सम्बोधित है।
पीड़ा के अनुनादित स्वर को जन जन तक पहुँचाऊँगा।