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यह कवि अपराजेय निराला,
जिसको मिला गरल का प्याला,
यह अपने भविष्य की आशा-
'माँ अपने आलोक निखारो,
नर को नरक -त्रास से वारो !'भारत के इस रामराज्य पर,हे कवि तुम साक्षात व्यंग्य-शर !
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