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<poem>
आप से गिला<ref>उलाहना, शिकायत</ref> आप की क़सम
सोचते रहे कर सके न हम
ये नवाज़िशें<ref>मेहरबानी, कृपाअनुग्रह</ref> और ये करम<ref>दया</ref>
फ़र्त-ए-शौक़<ref>प्रिय वस्तु का लालच</ref> से मर न जाएँ हम
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