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[[Category: सेदोका]]
<poem>
1
छुपा है चाँद
आँचल में घटा के
हुई व्याकुल रात
कहे किससे
अब दिल की बात
गिरे ओस के आँसू।
2
उमग पड़ी,
खुशबू की सरिता
पुलकित शिराएँ ।
‘ नहीं छोड़ेंगे’-
कहा जब उसने,
थी महकीं दिशाएँ ।
3
लहरा गया
सुरभित आँचल,
धारा बनकरके
बहे धरा पे
सुरभित वचन ;
महका था गगन ।
4
बीता जीवन
कभी घने बीहड़
कभी किसी बस्ती में
काँटे भी सहे
कभी फ़ाक़े भी किए
पर रहे मस्ती में ।
5
तुमसे कभी
नेह का प्रतिदान
माँगूँ तो टोक देना
फ़ितरत है-
भला करूँ सबका
बुरा हो ,रोक देना ।
6
खाए हैं घाव
चलो उनको धो लें
गले से लगकर
जीभर हम रो लें।
7हज़ारों मिलेपथ में मीत हमेंचुपके से खिसकेतुम-सा न थासाथ निभाने वालालौटके आने वाला ।82
राह हमारी
ये रोकेंगे सागर
खुशबू बनने को
फूलों -सा खिलना है ।
93
पास जो बैठे
वे मीलों दूर रहे
कोसों दूर हो तुम
फिर भी पास लगे ।
104
ईर्ष्या का चक्र
सिर पर सवार