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{{KKRachna
|रचनाकार= कविता भट्ट
|संग्रह=
}}
[[Category:चोका]]
<poem>
बढ़ गई है
रिश्तों में ठिठुरन
नेह तो मिले।
धूप अब लें जरा
फुरसत हो,
जिंदगी है केतली
तेरा प्यार है-
अदरख की चाय
मीठी चुस्कियाँ
बर्फीले पहाड़-सी
'''खामोशी भी पिघले'''।
-0-
<poem>
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|रचनाकार= कविता भट्ट
|संग्रह=
}}
[[Category:चोका]]
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बढ़ गई है
रिश्तों में ठिठुरन
नेह तो मिले।
धूप अब लें जरा
फुरसत हो,
जिंदगी है केतली
तेरा प्यार है-
अदरख की चाय
मीठी चुस्कियाँ
बर्फीले पहाड़-सी
'''खामोशी भी पिघले'''।
-0-
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