भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जीवन / कीर्ति चौधरी

859 bytes added, 18:36, 25 अगस्त 2008
New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कीर्ति चौधरी }} एक जीवन मिला था उसे जिया नहीं वह अमृत-घ...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कीर्ति चौधरी
}}

एक जीवन मिला था

उसे जिया नहीं

वह अमृत-घट था

उसे पिया नहीं


भरमते रहे

प्यासे अौर निरीह

उस झरने की खोज में

जो अंदर था

बंद अौर ठहरा हुआ

उसे अपने को दिया नहीं


माँगते रहे प्यार अौर आश्वासन

कृपण हो गए हैं लोग

दुहराते रहे बार-बार

खुद को कुछ दिया नहीं

खोजते रहे अलंकरण

सजाने के

उन सपनों को--जो दिखे नहीं।
Anonymous user