Changes

समरस / महेन्द्र भटनागर

941 bytes added, 18:37, 28 अगस्त 2008
New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=महेन्द्र भटनागर |संग्रह= विहान / महेन्द्र भटनागर }} <poem> म...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=महेन्द्र भटनागर
|संग्रह= विहान / महेन्द्र भटनागर
}}
<poem>

मैंने आज न पहले भी अपने पर अभिमान किया !

जब जीवन-नभ में चमका
मैं स्वर्ण-सितारा बन कर,
सब की मुझ पर आँख उठी
देखा जब ऐसा अवसर,
पर, मैंने न कभी अपने क्षणिक-सुखों का गान किया !

अंतर में समझा होता
इस उन्नति का मूल्य अगर,
गर्वीली रेखाएँ आ
बरबस छा जातीं मुख पर,
पर, लोचन झुक-झुक जाते, सुन मैंने बलिदान किया !
1944
Anonymous user