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{{KKRachna
|रचनाकार=रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
}}
[[Category:बाल-कविताएँ]]
<poem>
हे प्रभु तुम हो बहुत महान् ।
सबको दो विद्या का दान ॥
तुम रहते हो सबके मन में
गाँव-नगर में, घर में, वन में।
नदियाँ गाती तेरा गान ॥
तुम पर्वत पर , तुम सागर में
तुम धरती पर तुम अम्बर में।
तुम कोयल की मीठी तान । ।
फसलों की हर क्यारी में तुम
फूलों की फुलवारी में तुम ।
कलियों में तेरी मुस्कान ।
हमको अपने गले लगाओ
हमें प्रेम की राह दिखाओ ।
सुख-दु:ख समझें एक समान ॥
</poem>
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|रचनाकार=रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
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[[Category:बाल-कविताएँ]]
<poem>
हे प्रभु तुम हो बहुत महान् ।
सबको दो विद्या का दान ॥
तुम रहते हो सबके मन में
गाँव-नगर में, घर में, वन में।
नदियाँ गाती तेरा गान ॥
तुम पर्वत पर , तुम सागर में
तुम धरती पर तुम अम्बर में।
तुम कोयल की मीठी तान । ।
फसलों की हर क्यारी में तुम
फूलों की फुलवारी में तुम ।
कलियों में तेरी मुस्कान ।
हमको अपने गले लगाओ
हमें प्रेम की राह दिखाओ ।
सुख-दु:ख समझें एक समान ॥
</poem>