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{{KKRachna
|रचनाकार=रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
}}
[[Category:बाल-कविताएँ]]
<poem>
'''1-अक्कड़-बक्कड़ बम्बे बो'''
अक्कड़-बक्कड़ बम्बे बो
आसमान में बादल सौ ।
सौ बादल हैं प्यारे
रंग हैं जिनके न्यारे ।
हर बादल की भेड़ें सौ
हर भेड़ के रंग हैं दो ।
भेड़ें दौड़ लगाती हैं
नहीं पकड़ में आती हैं ।
बादल थककर चूर हुआ
रोने को मजबूर हुआ ।
आँसू धरती पर आए
नन्हें पौधे हरषाए ।
-0-
'''2- लाल बुझक्कड़ '''
अक्कड़- बक्कड़
लाल बुझक्कड़ ।
सिर पर लादे
मोटा लक्कड़ ।
कभी सोचता
कभी दौड़ता ।
खूब उड़ाता
धूल व धक्कड़ ।
हँसकर बोले
सदा प्रेम से ।
मौज उड़ाता
बनकर फक्कड़ ।
-0-
'''3-जब खेलने आए बच्चे'''
जब खेलने आए बच्चे-
हवा चली जी , हवा चली
तेज चली जी ,तेज चली
टूटे पत्ते , छूटे पत्ते ।
बिखरे पत्ते ,पत्ते - पत्ते
पत्ते दौड़े ,आगे-आगे
पीछे - पीछे ,हम भी दौड़े
कभी इधर को ,कभी उधर को
नहीं पकड़ में ,वे आ पाए
हम भी हारे , वे भी हारे ।
आए पास में चुपके- चुपके
अब पकड़ में आए पत्ते ,
सबने सभी उठाए पत्ते ।
-0-
</poem>
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|रचनाकार=रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
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[[Category:बाल-कविताएँ]]
<poem>
'''1-अक्कड़-बक्कड़ बम्बे बो'''
अक्कड़-बक्कड़ बम्बे बो
आसमान में बादल सौ ।
सौ बादल हैं प्यारे
रंग हैं जिनके न्यारे ।
हर बादल की भेड़ें सौ
हर भेड़ के रंग हैं दो ।
भेड़ें दौड़ लगाती हैं
नहीं पकड़ में आती हैं ।
बादल थककर चूर हुआ
रोने को मजबूर हुआ ।
आँसू धरती पर आए
नन्हें पौधे हरषाए ।
-0-
'''2- लाल बुझक्कड़ '''
अक्कड़- बक्कड़
लाल बुझक्कड़ ।
सिर पर लादे
मोटा लक्कड़ ।
कभी सोचता
कभी दौड़ता ।
खूब उड़ाता
धूल व धक्कड़ ।
हँसकर बोले
सदा प्रेम से ।
मौज उड़ाता
बनकर फक्कड़ ।
-0-
'''3-जब खेलने आए बच्चे'''
जब खेलने आए बच्चे-
हवा चली जी , हवा चली
तेज चली जी ,तेज चली
टूटे पत्ते , छूटे पत्ते ।
बिखरे पत्ते ,पत्ते - पत्ते
पत्ते दौड़े ,आगे-आगे
पीछे - पीछे ,हम भी दौड़े
कभी इधर को ,कभी उधर को
नहीं पकड़ में ,वे आ पाए
हम भी हारे , वे भी हारे ।
आए पास में चुपके- चुपके
अब पकड़ में आए पत्ते ,
सबने सभी उठाए पत्ते ।
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