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राग निर्गुन / शशीधर

No change in size, 04:50, 15 मई 2020
साधा वर्ण शीवजो ढुंडि ढुंडि मै धुम्र वर्ण जीवात्मा
चैतन्य ब्रह्मजीको षोडसदल कमलमें चैतन्य ब्रह्मजीको बास ।।
एकाईस हज्जास हज्जार छ सये षडचक्र, जप, अजपको
फिराउँ नित दिनमें स्वास ।।षडचक्र।।५।।
धुम्र वर्ण चैतन्य ब्रह्मजीको ढुंडि ढुंडि, प्रगटे आत्मा
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