भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGhazal}} {{KKCatBhojpuriRachna}...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
{{KKCatBhojpuriRachna}}
<poem>
रउरा गाँवे जब ले सावन आइल बा
हमरा गाँवे तलई- ताल सुखाइल बा
पटना-दिल्ली बइठल रउरा का जानब -
तरवा जेठे कतना ई भउराइल बा
लेके हम आपन गगरी कहवाँ जाईं
हमरा खातिर घाट सभे कउराइल बा
जेतने पेवन सटलीं, ओतने छितराइल
जिनगी के कथरी अइसन बिधुनाइल बा
ई रोटी हमरा खातिर सपना बाटे
रउआ खातिर भलहीं ई अउराइल बा
सांच कहे के लत लागल बा जहिया ले
लोग कहेला, 'आसिफ' त बउराइल बा
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
{{KKCatBhojpuriRachna}}
<poem>
रउरा गाँवे जब ले सावन आइल बा
हमरा गाँवे तलई- ताल सुखाइल बा
पटना-दिल्ली बइठल रउरा का जानब -
तरवा जेठे कतना ई भउराइल बा
लेके हम आपन गगरी कहवाँ जाईं
हमरा खातिर घाट सभे कउराइल बा
जेतने पेवन सटलीं, ओतने छितराइल
जिनगी के कथरी अइसन बिधुनाइल बा
ई रोटी हमरा खातिर सपना बाटे
रउआ खातिर भलहीं ई अउराइल बा
सांच कहे के लत लागल बा जहिया ले
लोग कहेला, 'आसिफ' त बउराइल बा
</poem>