भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGhazal}} {{KKCatBihar}} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
{{KKCatBihar}}
{{KKCatBhojpuriRachna}}
<poem>
फेर हवाबाज़ आ गइल बादर ,
सिर्फ शहरे प छा गइल बादर।
रह गइल चुरुआ लगवले मडई,
छत के पानी पिया गइल बादर ।
भेख बहुरुपिया नियन बदले,
खूब बुरबक बना गइल बादर ।
नाहि बरसे के तनिक बा हबखब
खेत लहलस डूबा गइल बादर ।
खूब गरजल, चमक-दमक देके ,
खूब सपना देखा गइल बादर ।
भूख 'आसिफ' न कुछ सुने देलसु ,
राग बादल सूना गइल बादर ।
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
{{KKCatBihar}}
{{KKCatBhojpuriRachna}}
<poem>
फेर हवाबाज़ आ गइल बादर ,
सिर्फ शहरे प छा गइल बादर।
रह गइल चुरुआ लगवले मडई,
छत के पानी पिया गइल बादर ।
भेख बहुरुपिया नियन बदले,
खूब बुरबक बना गइल बादर ।
नाहि बरसे के तनिक बा हबखब
खेत लहलस डूबा गइल बादर ।
खूब गरजल, चमक-दमक देके ,
खूब सपना देखा गइल बादर ।
भूख 'आसिफ' न कुछ सुने देलसु ,
राग बादल सूना गइल बादर ।
</poem>