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Kavita Kosh से
सर कटा कर भी सच से न बाज आऊँगा
चाहे जिस वक़्तन वक़्त भी आज़माना मुझे
अपने पथराव से ख़ुद वो घायल हुआ
वो ही मौसम लगे है सुहाना मुझे
नेमते इस तरह बाँटना , हे ख़ुदा !
सबको दौलत मिले दोस्ताना मुझे
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