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Kavita Kosh से
किसी के अधर की मुस्कान बन जाना।
किसी भीगे कंठ का गान बन जाना।
जिस गाँव शहर में घिरा छाया हो अँधेरा।
उसके कूचे का दिनमान बन जाना।
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