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भादव हे सखि जन्म लीन्हा, नग्र नगर मथुरा ग्राम योधाम यौबसू बसथि गोकुल ब्रज में कान्हा, बनि यशोदाक यशोदा के लाल योयौ।आसिन आशिन हे सखि कंस सूनल, कंश सुनल कृष्ण लेल अवतार योयौजाह पूतना यशोदा आँगन, कृष्ण लाहु उठाय योयौ। कातिक हे सखि भेख भेष बदलल, लेल लहुरी हाथ योलहरी संग यौबिहुसि विहूसि पुछल यशोदाजी सऽ, सँ बालक देखब तोर योयौ। अगहन हे सखि आदर कीन्हा, दीन्हा आशीष देल भरि मोन योयौधन्य भाग हमर द्वार पर, विप्र आयल पाहुन योआयेल पाहून यौ। पूस हे सखि बालक देखल, आशीष देल भरि मोन योयौलेहु पुतना लेल पूतना गोद अपना, अपन बदन बिहुँसि लगाउ योविहूसि लागय यौ। माघ हे सखि हम तऽ त जानल, इहो थिक कंसक थिका कंशक दूत योयौकंठ दाबल उदर फाड़ल, फारल पूतना खसल मुरुछाइ योगेल मुरझाई यौ। फागुन हे सखि हम नहि नहीं जानल, इहो थिका पूर्णब्रह्म योपूर्ण ब्रम्ह यौबालक जानि जानी हम गोद लीन्हा, गोदी लेलौं कृष्ण कयल जीवघात योकैल जिवघात यौ। चैत हे सखि शेषनाग नाग नाथल, लेल पतरा हाथ योयौचहुदिस चहू दीस मोहन फीरि घुमि आबथि, बैसल यशोदाकेँ गोद योयशोदा के कोर यौ।बैसाखहे बैसाख हे सखि उषम उसम लागे, आनन्द भेल आनंद गोकुल के लोक योयौगात देह हुनका शोभनि शोभनी पीताम्बर, पैर झुनुकी बाज योमें झुनकी बाजु यौ। जेठ हे सखि गइआ गाय चराबथि, साँझ घुरथि मुरारि योके घुरथी मुरारी यौसंग सखा मिलि मिली कुंज बनमे, वन मे मुरली टेरथि टेरथी भगवान योयौ। अखाढ़ अखार हे सखि गम-गम करतु हैं, चहुँदिस बरिसत करैत अछि चहू दिस बरिसय मेघ योयौलौका जे लौके लौकई बिजुरी छिटकय, दमकय कानक चमकै दमकै कान कुंडल योयौ। साओन हे सखि पूर मास बारह, बारहम कृष्ण उतरथि पार योयौछत्रदास गुलाम हरिजी केँ, पूरल हम भेलहुँ अधीन हरी के पुरल बारह मास योयौ।
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