भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मेरी गुड़िया / कविता भट्ट

1,180 bytes added, 04:10, 18 जुलाई 2020
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= कविता भट्ट |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <Poem> मैय...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= कविता भट्ट
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<Poem>

मैया! खिली कलियाँ केली की;
ज्यों डोली गुड़िया अलबेली की।
नन्ही चिड़िया उड़ती फूलों पर;
झूलती टहनी के झूलों पर।

केली पर लटकी बेल चमेली,
झूमर बारात सजी सहेली।
मेरी गुड़िया है आज उदास;
जाना उसको गुड्डे के पास।

वहाँ नहीं मिलेगा ये बिस्तर;
मोबाइल, गेम ना कम्प्यूटर।
फिर यह कैसे यह वहाँ रहेगी।
मुझसे दूरी कैसे सहेगी?

इसे तो मैं खूब पढाऊँगी,
अपने हाथों से सजाऊँगी।
पढ़ाई करके बड़ी बनेगी
सबके भलाई सदा करेगी ।
</Poem>