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{{KKRachna
|रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन
|अनुवादक=
|संग्रह=उभरते प्रतिमानों के रूप / हरिवंशराय बच्चन
}}
{{KKCatKavita}}<poem>
पहले यहाँ एक पगडंडी थी
जो शहर से गाँव को जाती थी;
अब यहाँ पर एक सड़क है
जो गावँ से शहर को आती है;
और देखते ही देखते