}}
{{KKCatGhazal}}
{{KKVID|v=R2UKZL399Jo}}
<poem>
अब के सावन में शरारत ये मेरे साथ हुई
मेरा घर छोड़ के कुल शहर में बरसात हुई |
आप मत पूछिये क्या हम पे 'सफ़र में गुज़री ?आज तक हमसे हमारी न मुलाकात हुई |
हर गलत मोड़ पे टोका है किसी ने मुझको
एक आवाज़ तेरी जब से मेरे साथ हुई |
मैंने सोचा कि मेरे देश की हालत क्या है
एक क़ातिल से तभी मेरी मुलाक़ात हुई |</poem>