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जब कोई पूछे तुमसे / अंकिता जैन
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12:59, 3 अगस्त 2020
मगर जिनमें दबे हैं कहीं
उस कौवे के
ताज़े-हरे
ज़ख्म
ज़ख़्म
अगर कोई पूछे तुमसे
जिन्हें अपने हालातों पर
अपनी बेबसी पर
अपनी
गरीबी
ग़रीबी
और लाचारी पर
हँसना और रोना एक सा लगता है,
Abhishek Amber
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