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06:41, 25 अगस्त 2020 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=मंसूर उस्मानी
|अनुवादक=
|संग्रह=
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<poem>
गुलशन में ये कमाल तुझे देख कर हुआ
फूलों का रंग लाल तुझे देख कर हुआ
मुद्दत के ब'अद आज मिले हैं तो जान-ए-मन
दिल को बहुत मलाल तुझे देख कर हुआ
आओ हम आज चाँद का क़र्ज़ा उतार दें
तारों को ये ख़याल तुझे देख कर हुआ
ख़ुशबू से किस ज़बान में बातें करेंगे लोग
महफ़िल में ये सवाल तुझे देख कर हुआ
अश्कों से जब लिखेंगे ग़ज़ल तब सुनाएँगे
इस दिल का जो भी हाल तुझे देख कर हुआ
</poem>