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05:25, 7 सितम्बर 2020 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रमेश तन्हा
|अनुवादक=
|संग्रह=तीसरा दरिया / रमेश तन्हा
}}
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<poem>
बारे-ग़मो-अन्दोह उठा सकता हूँ
हर दर्द को सीने में छुपा सकता हूँ
इतनी तो है क़ुव्वते-इरादी मुझ मर
तूफ़ान में भी दीया जला सकता हूँ।
</poem>