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05:37, 7 सितम्बर 2020 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रमेश तन्हा
|अनुवादक=
|संग्रह=तीसरा दरिया / रमेश तन्हा
}}
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<poem>
है चार तरफ धूम शरारो-शर की
वहशत का है माहौल, हुक़ूमत डर की
है कत्ल पे इंसान के इंसान माइल
ऐसे में भला किसे हो सुध बुध घर की।।
</poem>